हाईकोर्ट ने मरीजों के हित में सरकार के लिए गाइडलाइन जारी की
भोपाल। पिछले 2 महीने से मध्य प्रदेश में लगातार संक्रमण बढ़ता जा रहा है और इसी के साथ सरकार नई-नई गाइडलाइन जारी करके जनता पर प्रतिबंध लगाती जा रही है लेकिन इलाज के लिए समय सीमा और इंजेक्शन व ऑक्सीजन की उपलब्धता की पाबंदी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। हाईकोर्ट ने आज सरकार के रवैए को आड़े हाथों लेते हुए मरीजों के हित में सरकार के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है।
हाईकोर्ट ने 49 पेज के आदेश में 19 बिंदुओं पर गाइडलाइन जारी की
हाईकोर्ट के फैसले में ये है अहम बिंदु
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोरोना की स्थिति भयावह, हम मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग के खाली पदों पर संविदा पर तत्काल नियुक्ति करें।
2-3 साल में रिटायर मेडीकल स्टॉफ को सेवा में फिर से लेने के निर्देश दिए है।
अगली सुनवाई से पहले एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करे सरकार
10 मई को होगी अगली सुनवाई। 49 पन्नो का फैसला किया HC ने जारी
प्रदेश में विद्युत शवदाह गृहों की संख्या बढ़ाएं।
जरूरतमंद मरीज को एक घंटे के अंदर रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराएं।
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत अस्पताल में चस्पा की जाए।
मरीज को 36 घंटे में आरटीपीसीआर की रिपोर्ट दी जाए।
कोरोना का फैलाव रोकने प्रदेश में कोरोना की जांच बढ़ाई जाए।
निजी अस्पतालों में भी रेमडेसिविर इंजेक्शन व ऑक्सीजन की उपलब्धता कलेक्टर व सीएमएचओ सुनिश्चित कराएं।
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को दखल देने का आदेश दिया है और ये सुनिश्चित करने को कहा है कि अस्पतालों में ऑक्सीज़न और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी न होने पाए।
केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि वो उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीज़न अस्पतालों में पहुंचाए।
देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़वाने का प्रयास करे। यदि जरुरत पड़े तो सरकार विदेशों से रेमडेसिविर का आयात भी करवाए।
देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए उत्पादन से लेकर आयात करना पड़े तो करें।
सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में एयर सेपरेशन यूनिट लगाए जाएं।
निजी अस्पतालों में एयर सेपरेशन यूनिट लगाने के लिए उन्हें सॉफ्ट लोन दिए जाएं।
प्रदेश में 9 अक्टूबर 2020 की स्थिति में प्रारंभ किए गए 262 हॉस्पिटल के कोविड-19 सेंटर, 62 डेडीकेटेड कोविड-19 केयर सेंटर और 16 डेडीकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल को फिर से शुरू करें।
इलाज के दौरान निजी अस्पताल मरीजों से मनमानी वसूली ना कर पाएं। इसके लिए सरकार इलाज की दर को फिक्स करे।
इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों, मैरिज हॉल, होटल, स्टेडियम को अस्थाई अस्पतालों के लिए अधिग्रहित किया जाए।
अस्पताल किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित मरीजों को भर्ती करने से इंकार ना करें।
मध्यम वर्ग, निम्न मध्यमवर्ग, गरीब और बीपीएल श्रेणी के लोगों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन रेमडीसिविर और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए।
कलेक्टर और सीएमएचओ निजी, सरकारी अस्पतालों, पैथोलॉजी सेंटर और डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रतिनिधियों से समय-समय पर मीटिंग आयोजित करते रहे, जिससे अन्य आवश्यकताओं की भी आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
शासन स्तर पर आईएमए और मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बैठक सुनिश्चित किया जाए की उपचार कराने वाले मरीजों से अत्यधिक शुल्क न वसूला जाए।