हरित प्रवाह समाचार
संजय तिवारी
उमरिया-
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से निकलने वाली पिपही और भदार नदी में रेत ठेका कंपनी द्वारा पोकलिन मशीनों के माध्यम से जबरदस्त तरीके से उत्खनन किया जा रहा है । बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व के पनपथा परिक्षेत्र से लगी नदी में रेत का कारोबार चरम सीमा में है। जंगलो के बीच विस्टा कंपनी के कारिंदों द्वारा नदी में जिस तरह से पोकलिन मशीनों के माध्यम से रेत का उत्खनन किया जा रहा है उससे जलीय जीवों के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं और उन जलीय और वन्य जीवों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
आलम ये है कि बीच और घने जंगलों में शोर शराबे के साथ किये जा रहे रेत के उत्खनन से वन्यजीवों के स्वच्छंद विचरण में बाधा बनी हुई है।
नदी की धार में विस्टा का वार:-
कंपनी के कारिंदों ने अपनी मनमर्जी करते हुए विशालकाय मशीनों के माध्यम से नदी की धार की दिशा और दशा दोनों बदलने में कोई कोर कसर नहीं छोंड़ी। नदी के तटों को मशीनों से छलनी कर करीब 4 किलोमीटर की लंबी सड़क बनाकर रेत सीधे बरही से आगे जंगल होकर निकलते है। प्रतिदिन करीब 60 से 70 ट्रक नदी में बने रैम्प से होकर काफी दूर निकलते है। अनुबंध के बाद से ही कथित कंपनी ने एनजीटी के निर्देश और सिया के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन में एक सफेदपोश और दो रसूखदारों के आगे संबंधित अधिकारी कार्यवाही करने की बजाए सभी नियम कायदों को दरकिनार कर उनके सामने ने घुटने टेक दिए हैं। पिपही और भदार नदी से लगातार रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन किया जा रहा है। इस संबंध में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को कई बार अवगत कराया गया लेकिन कार्यवाही करने की बजाए सभी चुप्पी साध ली।
अगर यही आलम रहा तो नदी के अस्तित्व को मिटाने के साथ ही पर्यावरण पर भी घातक परिणाम पड़ सकते हैं।